Gulzar with daughter baby Meghna Gulzar & Sanjeev Kumar
1 min readNov 3, 2019
“चंद तुतलाए हुए बोलों में आहट भी सुनी
दूध का दाँत गिरा था तो वहाँ भी देखा
बोसकी बेटी मिरी चिकनी सी रेशम की डली
लिपटी-लिपटाई हुई रेशमी तांगों में पड़ी थी
मुझ को एहसास नहीं था कि वहाँ वक़्त पड़ा है
पालना खोल के जब मैं ने उतारा था उसे बिस्तर पर
लोरी के बोलों से इक बार छुआ था उस को
बढ़ते नाख़ूनों में हर बार तराशा भी था” बोसकी गुलज़ार