जब आर डी बर्मन जी का देहावसान हुआ तो उनकी माता जी को ना किसी तरह का दुख हुआ और ना ही कुछ महसूस हुआ!जानने के लिए पढ़े

31/10/1975 को एस डी बर्मन जी की मृत्यु के बाद धीरे धीरे उनकी पत्नि मीरा जी अपना मानसिक संतुलन खोने लगी थीं और उन्हे alzheimers हो गया ! इस बीमारि के कोमन सीम्प्टम्स होते हैं की आदमी की याददाश्त कमज़ोर हो जाती है और बिहैवियर के अलग अलग पेटर्न बनने लगते हैं ! पेशंट खुद अपनी केयर नही कर पाता है और धीरे धीरे इलिमनेट हो जाता है ! सारे लोगों से और उसके बाद उसके शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं ! कुछ इन्ही तरह के सीम्प्टम्स से मीरा देव बर्मन जी भी गुज़र रही थीं।
जब उनके इकलौते बेटे आर डी बर्मन जी का देहावसान हुआ तो खुद की बीमारी की वजह से ना तो उन्हे किसी तरह का दुख हुआ और ना ही कुछ महसूस कर सकीं ! बल्की उनके पूछने पर जब लोगों ने कहा की पंचम किसी काम से लंडन गया है ! कुछ दिनो बाद लौट आयेगा।
4/1/1994 को आर डी के जाने से ले कर 16/10/2007 तक याने 13 साल मीरा देव बर्मन जी यही समझती रहीं उनका बेटा पंचम काम के सिलसिले मे लंडन गया है।
बीमारी के कारण उनके लिये समझना नामुमकिन था की उनका बेटा अब इस दुनिया मे है ही नही ! मीरा जी की लाइफ की अजीब ट्रेजीडी रही की पति चले गये उसके बाद बेटा चला गया और खुद का भी वृद्ध अवस्था मे उनका निधन हुआ।